बैंकिंग क्षेत्र के नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) और वित्त मंत्रलय की सक्रियता की वजह से निजी क्षेत्र के यस बैंक का संकट एक महीने से पहले खत्म हो सकता है। यस बैंक में 49 फीसद हिस्सेदारी खरीदने का फैसला कर चुके भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के प्रमुख रजनीश कुमार ने शनिवार को कहा कि यस बैंक में अधिकतम 10,000 करोड़ रुपये तक का निवेश किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक यस बैंक को संभालने में सरकारी बीमा कंपनी एलआइसी की भी मदद ली जा सकती है। सरकार, आरबीआइ और एसबीआइ के तमाम आश्वासनों के बावजूद शनिवार को भी देशभर में यस बैंक की शाखाओं और एटीएम में खाताधारकों का तांता लगा रहा। लेकिन एटीएम की खाक छान रहे ग्राहकों को निराशा हाथ लगी।
यस बैंक के वर्तमान शेयर मूल्य के मुताबिक 49 फीसद शेयर खरीदने के लिए एसबीआइ को 2,450 करोड़ के निवेश की जरूरत पड़ेगी। रजनीश कुमार ने कहा कि एसबीआइ बोर्ड ने यस बैंक में 49फीसद हिस्सेदारी लेने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है और उनकी कानूनी टीम इस दिशा में काम शुरू कर चुकी है। यस बैंक की रिस्ट्रक्चरिंग योजना की मंजूरी के लिए एसबीआइ सोमवार (नौ मार्च) को आरबीआइ के पास जा सकता है। रिस्ट्रक्चरिंग के बाद गठित होने वाले यस बैंक के नए बोर्ड में एसबीआई के दो प्रतिनिधि होंगे। कुमार ने साफ कहा कि रिस्ट्रक्चरिंग के लिए आरबीआइ की तरफ से 30 दिन के तय समय से पहले यह काम पूरा हो जाएगा।
एसबीआइ चेयरमैन ने भरोसा दिलाया कि यस बैंक के खाताधारकों को घबराने की जरूरत नहीं है। उनका पैसा पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि रिस्ट्रक्चरिंग ड्राफ्ट पढ़ने के बाद कई निजी निवेशक यस बैंक में हिस्सेदारी के लिए एसबीआई के संपर्क में हैं।